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गुरुवार, नवंबर 24, 2011

Let it be 'now' or 'never'.

You could see the one,
You could search the one,
You could admire the one,
You could wait for the one,
You could smile with the one,
You could mingle with the one,
You could shout on that one,
You could cry for that one,
You could trust the one,
You could text the one,
but....
You could never express on that one... amazing... unbelievable... but true.. Life and time not waiting for long as we all are running on a fixed track having a dead end.. 



Let it be 'now' or 'never'.

शनिवार, नवंबर 05, 2011

I AM A LADY LOOKING FOR LOVE

(Baldev's feelings for an isolated mother)


I enjoyed my childhood
as a kid,
and tried all the 
hooks and crooks
to force my parents
to make me happy.....
I enjoyed my adulthood
as a girl,
and tried all the
fun and joy
to make others happy.....
I enjoyed my marriage
as a bride,
and tried all the
respect and regard
to give my best
to make in-laws happy....
I enjoyed my marriage
as a housewife,
and tried all the
love and sex
to make my husband happy...
I enjoyed my motherhood
as a mom,
and tried all the
love and care
to make my kids happy....
Now, I am old...
sick and cold,
and trying all the
options

with all reasons
to make myself happy....
but where the happiness gone..
I am living isolated and alone,
crying without kids,
husband n in-laws.....
All are happy to make me unhappy...
I am still a mother of my kids...
I am still a wife of a loving husband...
I am still 'me' with(out) all........ :-(((

गुरुवार, नवंबर 03, 2011

तुम्हारी हंसी मेरी दुनिया को तो ना बदल पायेगी.. जब भी आयेंगे आंसू, मुझे तेरी याद जरूर आएगी..

1. ये महज़ इत्तेफाक की बात है, कोई मजबूरी तो नहीं...
जो ना आयें ख्वाबों में उन्हें याद करना जरूरी तो नहीं...
काम आये वक़्त पे ऐसा हमसफ़र कोई मिल जायेगा,
जब कभी आंसू निकले उसका कंधा नज़र आएगा...
बुलाता हो अक्सर, जब रात का गहराता हुआ सन्नाटा..
"बलदेव" तेरे शीशे में उसका ही अक्स नज़र आएगा....

2. तेरी आरज़ू का इक तोहफा जो हमें वक़्त ने थमा दिया,
अब कैसे वक़्त और जिंदगी से शिकवा करेंगे हम..

3. वक़्त ने ही अक्सर हमको रुलाया है,
ग़मों का वैसे भी हमपे साया है..
तेरी चाहत न होती तो फिर भी जी लेता मैं, 
तेरे होने के दर्द ने ही मुझे तद्पाया है.....

4. खुशनसीब हैं वो जिन्हें तुम याद करते हो..
ख्वाबों में ही सही मिलने की फरियाद करते हो..

5. तुम्हारी हंसी मेरी दुनिया को तो ना बदल पायेगी..
जब भी आयेंगे आंसू, मुझे तेरी याद जरूर आएगी....

6. "बलदेव" तेरी चाहत ने तुझे यूँ भी रुलाया है,
बनाकर तुझे अपना, दरियाओं में डुबाया है..
जो न कभी बनती तस्वीर उसकी लकीर हूँ मैं.
मैंने ठोकर खाकर भी पत्थरों से दिल लगाया है...

7. इक फासला था जो मिट न पाया और हम चल दिए,
वो रोये भी गर बाद में तो ये आंसू मेरे किस काम के...

8. तेरे पहलू से जो छिटक कर है गिरा,
वो कुछ और नहीं, मेरे दिल का टुकड़ा था :-((

9. ये क्यों बेवजह मुझको तडपाने की ज़हमत उठाते हो...
ज़रा इंतज़ार करो, मैं खुद ही फनाह हो जाऊँगा..

बुधवार, नवंबर 02, 2011

तलाश......अजनबी ठिकाने की

मेरा नसीब
इक खोटा सिक्का,
तलाशता फिरता है
किसी अजनबी ठिकाने को..
न दरिया तैर पाया
न समंदर ही लांघ पाया,
ये गिरता पड़ता आज फिर
मुझ तक चला आया,
मेरा नसीब
इक मोहब्बत का मारा
मांगता फिरता है,
किसी अजनबी दीवाने को...
रात बाकी थी कभी
ना दिन का था उसको इंतज़ार,
सहराओं की बस्ती थी इक तरफ
दलदल दूजी ओर थी बेशुमार,
मेरा नसीब
इक बेसहारा सा दुलारा
देखता रहता है शायद
ख्वाबों में लहराते फ़साने को..
मेरा नसीब
इक खोटा सिक्का,
तलाशता फिरता है
किसी अजनबी ठिकाने को..

ये जो अश्को की थी बारिश
ये शायद उसका ही जूनून था,
ये जो लहू का था इक कतरा
शायद उसका ही इक मज़मून था,
टुकड़ों को सजाता फिरता था,
दिल के ज़ख्मों को भूल
गैरों से फिर दिल लगाने को....
पता जो कभी जिंदगी की शाम,
न आता इस तरफ हाथों में लिए जाम,
बंद कर दिए थे जिसने,
उन्ही दर वालों की ठोकर खाने को...
मेरा नसीब
इक खोटा सिक्का,
तलाशता फिरता है
किसी अजनबी ठिकाने को..

जिस्म को काटने की जिद थी
काट ही डाला मगर
औरों का नहीं बल्कि खुद को...
ले जाकर बेच डाला फिर उसे
गोश्तखोरों की तस्तरी में,
आग बना के अपने दिलजले की,
ताप लिया था खुद की बोटियों को..
ये हँसता था तो अच्छा लगता था नहीं,
अब रोता है तो सबका दिल लुभाने को....
मेरा नसीब
इक खोटा सिक्का,
तलाशता फिरता है
किसी अजनबी ठिकाने को..


~बलदेव~