कुल पृष्ठ दृश्य :

गुरुवार, दिसंबर 15, 2011

ये आंधी आज मुझे कहीं दूर ले जाने वाली है ..

शाम का धुंधलका है और रात गहराने वाली है,
मेरी तन्हाई मुझे फिर से बुलाने वाली है...
आज मैं हूँ, मेरे होने का तू यकीन तो कर,
कल शायद मौत मुझे पास बिठाने वाली है...
बारहा जिन्हें याद कर नम कर लेते हैं ये आँखें
वो ख्वाब की दुनिया मुझे यूँ भी बहलाने वाली है...
ज़ख्मो को कुरेंदने की जरूरत नहीं मेरे हमसफ़र
तेरी बेवफाई ही मेरे ये ज़ख्म सहलाने वाली है...
आज इक बार आ भी जाओ उठाने को शायद मुझे,
कल को फिर ये तकदीर मुझको गिराने वाली है....
सोया नहीं यूँ भी कई रातों से मैं,
सोया नहीं यूँ भी कई रातों से मैं,
दहशत उस जुदाई की मुझे फिर से जगाने वाली है...
तुम लाख कर लो कोशिश मुझे हंसाने की,
मेरी दुनिया तो यूँ भी मुझे रुलाने वाली है....
किसी और ही राही की तकदीर में लिखी होगी मंजिल,
मेरी तकदीर तो मुझे यूँ भी भटकाने वाली है..
शौक नहीं मुझे के मैं खुद को परदे को ओट में रखूं,
ये आंधी आज मुझे कहीं दूर ले जाने वाली है ..
प्यास बुझाने के लिए हर किसी को इक कुआँ तो मिला,
ये मरीचिका सहराओं की मुझे प्यासा ही मिटाने वाली है...

~बलदेव~

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें