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सोमवार, जुलाई 09, 2012

आगोश


"आगोश"

बूँद बूँद अश्क क्यों,
कतरा कतरा ख़ुशी क्यों,
दामन दामन फैलाव क्यों,
सिसका सिसका जवाब क्यों,
मैं क्या हूँ समझ लूं जरा,
तेरे पहलु से लिपट लूं जरा,
बर्फ हूँ पिघल लूँ जरा,
रुक, अभी सम्हल लूं जरा,
टूटा हुआ कुछ देखा कभी,
दिल को समझ रो लिया कभी,
अपना कहने की चाहत में,
कुछ पल और जी लिया अभी,
मौसम हूँ बदलने दे जरा,
राख हूँ मचलने दे जरा,
साया हूँ कुछ देर चलने दे जरा,
आ कुछ देर और हंस लेने दे जरा....
सन्नाटा नहीं ख़ामोशी है,
दर्द नहीं मदहोशी है,
मौत नहीं सिर्फ बेहोशी है,
क़त्ल नहीं सरफरोशी है...
रूहानी प्यास को बढ़ जाने दे,
थोडा और नज़दीक अब आने दे,
तू मुझसे दूर नहीं ऐ जिंदगी,
मुझे अपने आगोश में सो जाने दे..
मुझे अपने आगोश में सो जाने दे...

~बलदेव~

शनिवार, जनवरी 14, 2012

आज फिर तुम देख लेना हश्र मेरे इस फ़साने का....

आज फिर खुशियों का संसार छोड़ आया हूँ,
आज फिर अपने पुराने शहर लौट आया हूँ.
आज फिर आंसुओं में मुस्कुराया हूँ..
आज फिर खुद को समझाने आया हूँ..
आज फिर दर्द बांटने की चाहत लेके आया हूँ..
आज फिर दर्द में डूब कर चला आया हूँ..
आज फिर किसी अपने से चोट पाया हूँ..
आज फिर अपने को अपना न समझ पाया हूँ..
आज फिर जज्बात के टुकड़ों को ले थरथराया हूँ..
आज फिर कश्ती को लहरों पे छोड़ आया हूँ..
आज फिर मेरा दिल मेरे लिए ही तड़पता है..
आज फिर मेरे हाथ से कोई बिछड़ता है..
आज फिर मैं कुछ कहने से भी डरता हूँ..
आज फिर मैं कोई वादा करने से भी मुकरता हूँ..
आज फिर मेरे साथी ना मुझको ढून्ढ पाएंगे..
आज फिर मेरे संग ना वो मुस्कुराएंगे..
आज फिर मैं कह के चला हूँ के गम ना कर..
आज फिर मेरे लिए तू आँखे नम ना कर..
आज फिर रोया हूँ जार जार तन्हाई में..
आज फिर मेरी हकीकत छुप गयी मेरी परछाई में..
आज फिर तलाश लेना मुझको गम के दरिया में..
आज फिर समझ लेना मैं नहीं फूल तेरी बगिया में..
आज फिर चाँद मुझको देख कंपकपाया है..
आज फिर मैंने उसको अपना हाल-ए-दिल सुनाया है..
आज फिर तुम भी समझ लेना के मैं नहीं इस ज़माने का..
आज फिर तुम देख लेना हश्र मेरे इस फ़साने का..
आज फिर तुम देख लेना हश्र मेरे इस फ़साने का....
~बलदेव~