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सोमवार, फ़रवरी 28, 2011

खनक रहा था, महक रहा था

खनक रहा था, महक रहा था ...
जीवन उन संग चहक रहा था..
खुशियाँ गीत सुनाती,
मुस्कान फूल बिखराती,
माथे पे बिंदिया दिल को चुरा ले जाती...
फिर ना जाने क्या था जो गम भर गया..
उसको मुझसे मुझको उससे जुदा कर गया..
खनक रहा था, महक रहा था ...
जीवन उन संग चहक रहा था..
ये बात अब पुरानी हो गयी...
जिंदगी "बलदेव" संग अब वीरानी हो गयी...
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