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सोमवार, फ़रवरी 21, 2011

जिंदगी ना जाने क्यों सताती है हमें


जिंदगी ना जाने क्यों सताती है हमें,
हँसते हैं तो रुलाती हैं हमें,
रोते हैं तो मिटाती है हमें....
जिंदगी ना जाने क्यों सताती है हमें,

यादों के झरोखों से बुलाती है हमें,
बुलाकर फिर भुलाती है हमें,
आंसुओं के सैलाब में डुबाती है हमें,
फिर भी ना जाने क्यों भाती है हमें,
जिंदगी ना जाने क्यों सताती है हमें,

तैरना ना आये तो पानी से डराती है हमें,
तैरना अगर आ जाये तो भंवर में डुबाती है हमें,
नदिया के कोनो से फिसलाती है हमें,
कांटो भरी राह पे नंगे पैर दौडाती है हमें,
जिंदगी ना जाने क्यों सताती है हमें,

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