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गुरुवार, मार्च 17, 2011

होली की फुलझरियां बलदेव के साथ...

१. किसी ने मंत्री जी से पूछा के मंत्री जी,
विरोधी पार्टी में रहकर जो समस्याएँ नज़र आती हैं,
सत्ता में आते ही वो सब कहाँ चली जाती हैं....
मंत्री जी बोले समस्याओं से हमने कब इनकार किया,
समस्याओं की खातिर ही तो हमने अवतार लिया..
समस्या इतनी गंभीर है के पांच साल हम उसपर करेंगे विचार,
और पांच साल बाद फिर से सत्ता में आये तो करेंगे उस पर कार्य...

२. घर की चौखट पे बैठी भौजाई को सूझी ठिठोली,
और लगी देवर से खेलने रंगों और व्यंगों की होली..
बोली की तुम पर भी तो हमारा आधा अधिकार,
क्यों नहीं लुटाते हम पर भी थोडा सा प्यार...
सुनकर देवर को भी मस्ती सुझाई,
और फिर उसने भी व्यंग की छड़ी घुमाई..
बोले हम तो आधा नहीं पूरा ही दे देते प्यार,
मगर भैया के हाथों से नहीं छूटती तुम्हारी पतवार..
तुम उन संग ही प्रीत की रीत निभाओ,
मुफ्त में अपनी देवरानी के हाथों तो हमें ना पिटवाओ...

३. काले गोरे का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है,
मिया ये होली के रंग का है असर,
एक बार रंग निकला नहीं के 'सब कुछ नज़र आता है"....

४. "एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया"...क्यों नहीं, क्यों नहीं, सरकार बचाने के लिए एम पी को दस करोड़ जो मिले थे .....

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