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मंगलवार, फ़रवरी 12, 2013

वक़्त फिर भी बदलने की कोशिश तो करता है मगर

1. मिलना लिखा होगा नसीब में तो यूँ भी मिल जायेंगे,
तेरे साथ जिंदगी के गमो को भी हंसकर अपनाएंगे,
देख पाए तुझे कभी तो चैन से सो लेंगें हम,
न देख पाए तो आँखें खुली रखकर इस ज़हां से चले जायेंगे..

2. अपनी दिवाली तो काली रात बन जाती  है,
टिमटिमाते दीयों में तेरी याद आती है,
फिर से भुलाने की कोशिश थी 'बलदेव'
तेरे साये में रौशनी मद्धम हुयी जाती है..

3. फिर किसी पुरानी किताब का पन्ना बना दिया,
मुझे आज उसने खुद की नज़रों से भी गिरा दिया..
करना चाहो तो कर लेना बात हमसे सनम,
तेरे लिए हमने आज अपना नाम तक भुला दिया...

4. मेरा माझी अक्सर ही मुझे बुलाता है,
मगर जब भी मिलने की सोचूं ,
वो दरिया के पार ही नज़र आता है.. 

5. उठा लेता हूँ पत्थर ये सोच कर के मूरत बना लूँगा,
मगर कोई दूसरा उसे भी फसाद का नाम दे देता है..

6. वक़्त फिर भी बदलने की कोशिश तो करता है मगर,
इंसान को ना जाने इसमें भी क्या तकलीफ होती है...

7. भटकती चीज़ों को तो हम राह दिखा भी सकते हैं मगर,
भटकता दिल आखिर किस दिन अपनी राह समझ पायेगा,
लहरों पे तैरने वाली कश्ती तू भी ये हकीकत समझ ले,
तेरे लिए भी शायद कोई भंवर इस दरिया में ही मिल जायेगा..

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